बिरयानी क्या है|What is Biryani|Biryani kya hota/hoti hai

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बिरयानी क्या होता है या होती है या what is Biryani ? यह सब एक ही Question है इसका Answer और इसकी history को आसान शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे।

Biryani – मुख्यतः चावल माँस-(बकरा,भेड़,भैसा,मुर्गा) और हमारे भारतीय मसाले, रंग और खुशबू के लिए केशर उपयोग होता है बिरयानी में केवड़ा और गुलाब जल भी डालते बनाते हैं।

इसे सामान्य विधि से और दूसरी विधि में दम में पकाया जाता है

इसका मतलब बर्तन के ढक्कन को आटे से सील कर के ढक्कन पर अंगार रख कर व नीचे से भी आंच दे कर पकाया जाता है

इसे 2 तरह से बनाया जाता है कच्ची और पक्की जिसका विवरण आप को नीचे पढ़ने को मिलेगा।

Biryani परोसने का तरीका – इसे गरमा गर्म परोसा जाता है कहीं चटनी प्याज नींबू के साथ और कहीं पतले दही में लहसुन नमक के फ्लेवर वाले रायते के साथ परोसा जाता है।

बिरयानी किस चावल से बनती है

यह अरवा बाँसमती चावल से बनाई जाती है। यह चावल पकने पर खुशबूदार लम्बे व पतले बनते हैं।

चावल के प्रकार

चावल दो प्रकार के होते हैं अरवा और सेल्हा दोनों ही देखने मे एक जैसे लगते हैं पर दोनों में बहुत अंतर होता है

अरवा चावल- यह फसल उगने के बाद धान से चावल निकाल कर बिना पॉलिश उतारे या पॉलिश किए हुए सीधे उपयोग में लिया जाता है।

इस तरह के चावल में प्रजाती के अनुसार अलग अलग महक के होते हैं।

सेल्हा चावल- यह चावल को तैयार करने के लिए फसल तैयार होने पर कटाई के बाद धान को स्टीम दी जाती है फिर धान को सुखा कर प्रोसेस किया जाता है।

इस तरह के चावल में महक नही होती है चावल लम्बे तो बनते हैं पर हल्के मोटे बनते हैं।

पकाने में ज्यादा अनुभव की जरूरत नही होती है अगर थोड़ा ज्यादा देर पक जाने पर चावल टूटता नही है

पर अरवा चावल में ये गुंजाइश नही होती है खासकर बाँसमती चावल में।

बाँसमती चावल से बिरयानी बनाना लम्बे तजुर्बे मतलब पारंगत, अनुभवी, खानसामा, रकाबदार, बावर्ची या सेफ़ इसमें जान डाल देते हैं।

आप ये मत समझिएगा की आप इसे बना ही नही सकते किसी की भी रेसिपी को अच्छे से पढ़ कर आप भी बना सकते हैं।

बिरयानी का इतिहास

माना जाता है पर्सियन शब्द बिरियन से मिला है जिसका अर्थ –

पड़ने वाली सामग्री मीट के साथ मसलों को भूनना अथवा तलना होता है।

ऐसा भी कहा जाता है कि चावल का उपयोग होने के लिए फारसी शब्द ब्रिंज से लिया गया है

यह व्यंजन मुख्यतः मुस्लिम समुदाय की है इसे ईरान, तुर्की, इराक, अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत में इसको पकाया जाता है।

लखनऊ में जब पहुची तो अवध की बिरयानी को और रिफाइन किया गया।

यहां की Biryani के चावल में चस्प (चिपचिपा) पर फरहरा मतलब चिपचिपा होने के बावजूद चावल के दाने परोसने पर बिखरे हुए होते हैं।

बिरयानी हैदराबाद की भी प्रसिद्ध है और यह कलकत्ता की भी मशहूर है इसे साउथ में भी बनाते हैं छोटे चावल के साथ।

बिरयानी जहाँ गई वहां इसे अपने तरीके से बनाया गया और इसके कई प्रकार हैं

  • लखनवी अवधी बिरयानी
  • हैदराबादी बिरयानी
  • तलशसेरी बिरयानी
  • कलकता बिरयानी,
  • अंबुर/वानियमबदी बिरयानी
  • मेमोनी बिरयानी
  • डिंडीगुल बिरयानी
  • कल्याणी बिरयानी
  • चिकन बिरयानी
  • सिंधी बिरयानी

भारत में बिरयानी का इतिहास

यह व्यंजन भारत मे कब और कैसे आई कुच्छ लोगों का कहना है-

वर्ष 1398 में तुर्क मुगल के कांकेरोर (Conqueror) तैमूर लेकर आए थे भारत में।

यह जंग के दौरान सिपाहियों का भोजन हुआ करता था।

कुच्छ लोग यह भी कहते हैं कि अरब के व्यापारी लेकर आए थे –

सदन मलाबार कोस्ट (southern coast malabar) भारत में।

कहा तो यह भी जाता है कि तमिल लिटरेचर (literatuer) में अंकित की हुई चावल से बना व्यंजन ओन सोरू (Oon soru) से काफी मिलता जुलता है।

इस व्यंजन से सम्बंधित मुमताज बेगम की कहानी

कहानी मुमताज बेगम की जिनकी याद में शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाया।

बिरयानी को ले कर कहा जाता है कि मुमताज बेगम सेना के कैम्प में गई थी उन्होंने देखा कि उनके सिपाही काफी कमजोर थे।

उन सिपाहियों के लिए सरल पौस्टिक और लजीज़ व्यंजन बनवाया जाए –

अपने खानसामों को आदेश दिया व्यंजन पौस्टिक भी हो और लजीज़ भी हो

बनते बनते निकल कर आई घी गोश्त चावल और मसालों का उपयोग कर के बनी Biryani जो कि आगे चल कर बहोत प्रचलित हुई।

लखनऊ के नवाबों और हैदराबाद के नवाबों ने इसे अपने छेत्रिय मसालों के साथ इसे और रिफाइन किया यह और लजीज़ हो गई।

कच्ची पक्की बिरयानी क्या है

दो तरह से बिरयानी बनाने का चलन है कच्चीपक्की

कच्ची – कच्ची Biryani बनाने में गोश्त (मीट) और चावल व मसाले एक साथ दम में पकाया जाता है

मीट (गोश्त) को जल्दी गलाने के लिए कच्चे पपीते का पेस्ट मिलाया जाता है इससे मीट मुलायम हो जाता है।

हैदराबादी बिरयानी इसी तरीके से बनती है।

पक्की – जब की पक्की बिरयानी में मीट (गोश्त) को अलग मसाले डाल कर पकाया जाता है –

मीट को अलग कर के उसके रसे से यखनी बनाई जाती है।

और चावल को 50% पकाया जाता है बर्तन में पहले पका हुआ मीट बिछाया फिर आधा पके चावल की परत बिछाई जाती है

ढक्कन को आटे से शील कर दिया जाता है और दम में पकाया जाता है।

यह तरीका लखनऊ की अवधी बिरयानी का है।

दम में बिरयानी पकाना क्या होता है

दम में पकाने का मतलब बर्तन के ऊपर के ढक्कन को गुथे हुए आटे से शील किया जाता है ताकी उसकी भाप बाहर न निकले जलते कोयले य लकड़ी की आँच बर्तन के नीचे से और ढक्कन के ऊपर कोयले के अंगार रख कर पकाने को दम में पकाना कहते हैं।

लखनवी अवधी बिरयानी का इतिहास

नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला ने एक इंटरव्यू में बहोत खूबसूरती से बयां किया है मुगलई अवधी क्विजिन में रिफाइन्मेंट किया गया।

लखनऊ में जो मसाले हैं उसे कूट के पीस के छान कर मिलाए जाते हैं मसाले की खूबी यह है कि –

जुबाँ पर मसाले का दरदरा पन ना महसूस हो आप को जायका, खुसबू, लज्जत आए पर दरदरा पन ना आए।

लखनऊ में हेल्दी प्रतियोगिता भी कराई जाती थीं

नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला के अनुसार लखनऊ के जो पुलाव हैं वो बड़े रिफाइन हैं।

यहां की बिरयानी में चस्प होता है चिपक होती है उसमें बोनमेरो डाला जाता है उसमें बालाई भी डाली जाती है दही भी डाला जाता है –

उसकी यखनी बनाई जाती है उसमें जब पुलाव पकता है और उसे जब नोज़ करेंगे मतलब खाएंगे तो उंगलियों में आप के चिपक होगी।

खूबी उसकी ये है कि किसी चादर पर फेकें तो छितर कर अलग अलग हो जाए।

उसमे चस्प भी हो और छरहरा पन भी हो

नवाब वाजिद अली शाह जब तशरीफ़ ले गए उसके बाद भी तालुकेदार, रौसा थे-

1952 में भारत में जमीदारी और तालुकेदारी भी खत्म हो गई जो उस समय के कुक, सेफ, बावर्ची या खानसामा थे-

वे रोड साइड पर छोटे छोटे जाइंट्स बना लिए जो कि 100 से 150 साल पुराने हैं-

जहाँ ज़ायका आप को वही मिलेगा और सस्ती गीजा आप को मिल जाएगी बहोत नायाब इसका मजा होगा।

नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह के अनुसार लखनऊ क्विजिन के मामले में यहां के व्यंजन बहोत ही रिफाइन है –

उनका मानना है कि दुनियाभर में अलग वेराइटी का खाना और कहीं नही मिलेगा

लखनऊ के प्रसिद्ध नॉनवेज पॉइंट्स दुकान रेस्टोरेंट

लखनऊ में जहाँ बढ़िया नॉनवेज मिला है उसके बारे में आप को उसकी खासियत और जरूरी बात आपको संछिप्त में बताने का प्रयास करेंगे

फेमस बिरयानी

इदरीस बिरयानी, वाहिद बिरयानी, लल्ला बिरयानी

टॉप 3 नॉनवेज पॉइन्ट रेस्टोरेंट

  • 1- टुंडे कबाबी चौक बाजार में बड़े का भैसे के गोश्त का गलावटी कबाब प्रसिद्ध है-
  • वहीं इनके परिवार की दूसरी दुकान टुंडे कबाब के नाम से अमीना बाद मार्केट में है
  • वहां बकरे और भैसे के गोश्त दोनों का गलावटी कबाब व अन्य मांसाहारी व्यंजन बढ़िया मिलते हैं
  • वाहिद बिरयानी यहाँ पर भी चिकन मटन की तरह तरह के व्यंजन मिलते हैं यह भी अमीन बाद मार्केट में है
  • दस्तरखान यहां पर भी मटन चिकन दोनों से बने व्यंजन मिलते हैं यह लाल बाग तुलसी सिनेमा पास है

हैदराबादी बिरयानी का इतिहास

हैदराबादी बिरयानी भारत में तो मशहूर है ही कई देशों में भी मशहूर है इसके विषय में कहावत है या माना जाता है –

यह तब Introduce हुई जब औरंगजेब ने निजा-उल-मुल्क को हैदराबाद की सत्ता दी कहा जाता है उस समय के खानसामों (बावर्ची) 50 किश्म की बिरयानियों को बनाया

अलग अलग किश्म के गोश्त (मीट) से बनाया जैसे- बकरे, हिरन, मछली, खरगोस, केशर युक्त बिरयानी सबसे शीर्ष पर है।

यहां के स्वाद में हल्का खट्टापन और तीखापन होता है

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